Bagla pratyingra kavach to get rid of black magic and negativity.
Shri Bagla pratyingra kavach to get rid of all evils.
श्री बगला प्रत्यंगिरा कवचम् |
।। श्री शिव उवाच ।। |
अधुनाऽहं प्रवक्ष्यामि बगलायाः सुदुर्लभम् । |
यस्य पठन मात्रेण पवनोपि स्थिरायते ।। |
प्रत्यंगिरां तां देवेशि श्रृणुष्व कमलानने । |
यस्य स्मरण मात्रेण शत्रवो विलयं गताः ।। |
।। श्री देव्युवाच ।। |
स्नेहोऽस्ति यदि मे नाथ संसारार्णव तारक । |
तथा कथय मां शम्भो बगलाप्रत्यंगिरा मम ।। |
।। श्री भैरव उवाच ।। |
यं यं प्रार्थयते मन्त्री हठात्तंतमवाप्नुयात् । |
विद्वेषणाकर्षणे च स्तम्भनं वैरिणां विभो ।। |
उच्चाटनं मारणं च येन कर्तुं क्षमो भवेत् । |
तत्सर्वं ब्रूहि मे देव यदि मां दयसे हर ।। |
।। श्री सदाशिव उवाच ।। |
अधुना हि महादेवि परानिष्ठा मतिर्भवेत् । |
अतएव महेशानि किंचिन्न वक्तुतुमर्हसि ।। |
।। श्री पार्वत्युवाच ।। |
जिघान्सन्तं तेन ब्रह्महा भवेत् । |
श्रृतिरेषाहि गिरिश कथं मां त्वं निनिन्दसि ।। |
।। श्री शिव उवाच ।। |
साधु साधु प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्वावहितानघे । |
प्रत्यंगिरां बगलायाः सर्वशत्रुनिवारिणीम् ।। |
नाशिनीं सर्व-दुष्टानां सर्व-पापौघ-हारिणिम् । |
सर्व-प्राणि-हितां देवीं सर्व दुःख विनाशिनीम् ।। |
भोगदां मोक्षदां चैव राज्य सौभाग्य दायिनीम् । |
मन्त्र-दोष-प्रमोचनीं ग्रह-दोष निवारिणीम् ।। |
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीबगला प्रत्यंगिरा मन्त्रस्य नारद ऋषिस्त्रिष्टुप् छन्दः, प्रत्यंगिरा देवता, ह्लीं बीजं, हुं शक्तिः, ह्रीं कीलकं, ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः । |
ॐ प्रत्यंगिरायै नमः । प्रत्यंगिरे सकल कामान् साधय मम रक्षां कुरु-कुरु सर्वान् शत्रून् खादय खादय मारय मारय घातय घातय ॐ ह्रीं फट् स्वाहा । |
ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी-मोहिनी तथा । |
संहारिणी द्राविणी च जृम्भिणी रौद्र-रुपिणी ।। |
इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजिताः । |
धारयेत् कणऽठदेशे च सर्वशत्रु विनाशिनी ।। |
ॐ ह्रीं भ्रामरि सर्व-शत्रून् भ्रामय-भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून् स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून् क्षोभय-क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून्मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं संहारिणि मम शत्रून् संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं द्राविणि मम शत्रून् द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं जृम्भिणि मम शत्रून् जृम्भय जृम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं रौद्रि मम शत्रून् सन्तापय सन्तापय ॐ ह्रीं स्वाहा । |
इयं विद्या महा-विद्या सर्व-शत्रु-निवारिणी । |
धारिता साधकेन्द्रेण सर्वान् दुष्टान् विनाशयेत् ।। |
त्रि-सन्ध्यमेक-सन्धऽयं वा यः पठेत्स्थिरमानसः । |
न तस्य दुर्लभं लोके कल्पवृक्ष इव स्थितः ।। |
यं य स्पृशति हस्तेन यं यं पश्यति चक्षुषा । |
स एव दासतां याति सारात्सारामिमं मनुम् ।। |
।। श्री रुद्रयामले शिव-पार्वति सम्वादे बगला प्रत्यंगिरा कवचम् ।। |
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीबगला प्रत्यंगिरा मन्त्रस्य नारद ऋषिस्त्रिष्टुप् छन्दः, प्रत्यंगिरा देवता, ह्लीं बीजं, हुं शक्तिः, ह्रीं कीलकं, ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः । |
Om Asya Shri Bagla pratyingra mantrasay narad rishi tri chutup chandah |
Prat yingra devta hrim beejam hoom shakti h rim kilkam Hrim,hrim,hrim |
hrim pratyingra mam shatru vinashaya viniyog. |
Take some water in right hand while reciting and release on viniyog. |
hrim to pronounced as H REEM |
ॐ प्रत्यंगिरायै नमः । प्रत्यंगिरे सकल कामान् साधय मम रक्षां कुरु-कुरु सर्वान् शत्रून् खादय खादय मारय मारय घातय घातय ॐ ह्रीं फट् स्वाहा । |
ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी-मोहिनी तथा । |
संहारिणी द्राविणी च जृम्भिणी रौद्र-रुपिणी ।। |
इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजिताः । |
धारयेत् कणऽठदेशे च सर्वशत्रु विनाशिनी ।। |
Om pratyinagrai namah pratyingarey sakal kamaan sadhaya mam raksham |
kuru kuru sarvaan shatrunn khaadaya khaadaya maaraya maaraya |
ghaataya ghaataya Om Hrim phatt swaha. |
Om bhramaari stambini devi shobini mohini tathaa sanhaarini draavini ch |
jrambhini rou der roopini iti ashtoo devi shatru pakshay niyo jatah |
Dhaar yet kandh deshey ch sarv shatru vinashaani.. |
ॐ ह्रीं भ्रामरि सर्व-शत्रून् भ्रामय-भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून् स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून् क्षोभय-क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून्मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं संहारिणि मम शत्रून् संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं द्राविणि मम शत्रून् द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं जृम्भिणि मम शत्रून् जृम्भय जृम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं रौद्रि मम शत्रून् सन्तापय सन्तापय ॐ ह्रीं स्वाहा । |
Om hrim bhramari sarv shatrunn bhra maya ,bhra maya om hrim swaha. |
Om Hrim Stambhini mamm shatrunn stambhay stambhay om hrim swaha |
om Hrim Shobhini mamm shatrunn shobhaya shobhaya om hrim swaha |
om hrim mohini mamm shatrunn mohay mohay om hrim swaha |
om hrim sanhaarini mamm shtrunn sanhaaraya sanhaaraya om hrim swaha |
om hrim draavini mamm shtrunn draa vai draavai om hrim swaha |
om hrim jhrambhini mamm shatrunn jhrambh ai jhrambhai om hrim swaha |
om hrim roudri mamm shatrunn santaapaya santaapaya om hrim swaha |