Complete Bajrang baan with meaning.(Get rid of black Magic and evil effects.)
By J.S.SANDHU
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग, By J.S.SANDHU
बजरंग बाण
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है।
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।
बजरंग बाण ध्यान
श्रीरामअतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है।
- पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
Start on the Tuesday of a Shukla Paksha and do the anushtan for 40 continuous days.
Take 05 grains like whole Wheat, Rice, Moong (Split and skinned Green Gram), Udad(Split and skinned black gram) and Til(black sesame seeds)Take a fistful of the above each and soak overnight in gangajal or the water from the Holy Ganges and the next day i.e Tuesday remove them and grind them to a thick paste and make a handmade diya out of it.
Use Chameli Oil/Jasmine or Mustard/Sarson Oil or Til/Tilli Oil for the Diya.
Take Red Cotton thread(Roli Or Kalava ) and measure your entire length of body 5 times and make a baati out of it to burn the akhand diya.
Take a photo of Shri Hanumanji which depicts the Shri Ram along with Sitaji and Shri Lakshman with hanumanji with folded hands at their feet. This photo is popularly called as “Ram Darbar” .
Take a Red color cloth to sit on/asan or use kusha asan with red cloth cover. Wear freshly ironed Red clothes.
Light gugal or frankinscence before and after the Anushthan. Frankinscence is a favorite of Shri Hanumanji.
Place the photo in the south-facing direction. You should be facing North and the photo should face South. (South is the direction, Hanumanji travelled to rescue Ma Sita, so this direction is his most favourite.)
You have to maintain celibacy for 40 days.
Light Akhand Diya(continuous lamp without disturbance).
Take a Sankalp (pledge) at the altar before you start with whatever it is that you wish for to be fulfilled.
Take 05 grains like whole Wheat, Rice, Moong (Split and skinned Green Gram), Udad(Split and skinned black gram) and Til(black sesame seeds)Take a fistful of the above each and soak overnight in gangajal or the water from the Holy Ganges and the next day i.e Tuesday remove them and grind them to a thick paste and make a handmade diya out of it.
Use Chameli Oil/Jasmine or Mustard/Sarson Oil or Til/Tilli Oil for the Diya.
Take Red Cotton thread(Roli Or Kalava ) and measure your entire length of body 5 times and make a baati out of it to burn the akhand diya.
Take a photo of Shri Hanumanji which depicts the Shri Ram along with Sitaji and Shri Lakshman with hanumanji with folded hands at their feet. This photo is popularly called as “Ram Darbar” .
Take a Red color cloth to sit on/asan or use kusha asan with red cloth cover. Wear freshly ironed Red clothes.
Light gugal or frankinscence before and after the Anushthan. Frankinscence is a favorite of Shri Hanumanji.
Place the photo in the south-facing direction. You should be facing North and the photo should face South. (South is the direction, Hanumanji travelled to rescue Ma Sita, so this direction is his most favourite.)
You have to maintain celibacy for 40 days.
Light Akhand Diya(continuous lamp without disturbance).
Take a Sankalp (pledge) at the altar before you start with whatever it is that you wish for to be fulfilled.
Use guggal dhoop --- http://en.wikipedia.org/wiki/Commiphora_wightii during the recitation of hymn the lamp should remain lighted.
,By J.S.SANDHU
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।
बजरंग बाण ध्यान
श्रीरामअतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
He who
reveres Hanuman with unflinching faith, love and respectful
humility,
is blessed with success in all his propitious undertakings by
the
grace of Hanuman.
By J.S.SANDHU
चौपाई जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु
अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
Jai
Hanumanta Santa Hitakaari, Suna Liijay Prabhu Araja
Hamari
Jana kay kaaja vilambha na keejay, Aatura daur maha Sukha
deejay.
Jaisay kooda sindhu vahi paara, Sursa badana paithii
Vistaara.
Pray
listen to my entreaties, O Hanuman, the compassionate
benefactor
of all saints! Delay not in responding to your votaries call
and
rushing, bless them with felicity, just as you leapt across the
ocean
leaving the earth behind and crept into Surasa’s mouth
assuming
the form twice as large as that of the Mother of Serpents all
for the
sake of Rama.
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
Aagay
jaiyii Lankinii Rokaa, Maarayhu laata gaii sura Loka
Jaayay
Vibhishan ko sukha deenha, Sita Nirakhi parama
pada
Leenhaa .
As you
proceeded further Lankini stopped you on the way, but you
kicked
her and dispatched her to the abode of the gods (killed her).
Going
to Vibhishana you brought him exceeding joy and sighting Sita
you
attained to the supreme state.
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
Baag
ujaari Sindhu Mahana Borah, Ati Aatura Jama Kaatara
Tora Akshaya Kumara ko mara sanhaara, Loama lapaita anka-ko Jaarah.
You
laid waste the Ashoka grove and drowned it into the sea. You
rescued
the world from its imminent doom (when the gods comforted
you in
Paatala where you were lying in a precarious condition). Thus
did you
save humanity and earn for yourself the blessing of
immortality
by frustrating the design of Yama who subdues every
being.
One glaring example of your victory over death is the episode
of
Akshayakumara, whose name signifies immortality, whom you
overthrew
and slaughtered; with your tail swathed with rags soaked in
oil and
set on fire you reduced Lanka to ashes
By J.S.SANDHU
लाह समान
लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
Laaha
samaan lanka jaari-gai, Jai Jai Dhwani surpur mein Bhai Aba
vilambha
kayhi Kaaran Swami, Kripaa Karahhu ura Antaraymii
Lanka
burnt like shellac; heaven, the abode of gods, was filled with
cries
of triumph: "Victory! Victory! Why are you tarrying, my Lord? O
controller
of my inmost being! Be gracious to me.
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
Jai Jai
Lakshmana Praana kay daataa, Aatura hai dukha
Karhu
Nipaataa Jai Girdhar jai jai sukh saagar, Sura
Samooha
samratha Bhata Naagar
Glory,
glory to you, O Lord, who restored Lakshmana to life! Come
promptly
and speedily and destroy my sorrow. Victory, victory to you,
O
Giridhara (who lifted up a mountain and brought it with all its
vegetation
to Lanka where Lakshmana lay grievously wounded)
Victory,
victory to you, O ocean of bliss! You are an assemblage of
bravery,
are competent, great warrior and wise.
Bajrang
baan by –J.s.sandhu
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
Om Hanu
Hanu Hanu Hanumanta Hatheelay, Bhairayhhi
Maaru
Bajrah-sam Keelay GADAA VAJRA Tai BAIRIHI MAARO
MAHAARAAJA
PRABHU DAASA UBAARO.
I
revere the unyielding Son of the Wind, Hanuman, with the cant of
Om hanu
hanu hanu. May you destroy my adversaries with
thunderbolt
and club, your adamantine weapon, which, when hurled,
lets no
enemy escape. O Lord! O king of kings! Come and deliver me,
your
own devotee, from my enemies.
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
Sunn Hankar HUNKAARA De DHAAVO
VAJRA
GADAA HANU VIAMBA NA LAA Om Hrim Hrim Hrim
Hanumant Kapisha, Om Hum Hum Hum Hanu Arii Ura Sheesha.
Roaring
with the sacred and mystical syllable OM, come with all
haste,
O great warrior, and hurl down bolts and clubs and other
weapons
(on my enemies) without delay. O monkey-king Hanuman!
Cry
hriin hriin hriin, the mystic syllables and shouting aloud Om
hun,
hun, hun smite the heads and bosoms of my enemies.
Bajrang
baan by –J.s.sandhu
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
SATYA
HIIHU HARI SHAPATHA PAAYA KE
RAAMADUUTA
DHARU MAARU DHAAYA KE
JAI JAI
JAI HANUMANTA AGAADHAA
DUKHA
PAAVATA JANA KEHI APARAADHAA
O
Rama’s envoy! Having been assured by Lord Hari that you are
Real-Truth
itself-you rush at once and catching hold of my enemies,
kill
them (without fear). (Being ever living Reality, immortal and
transcendent,
yield not to fear but fight and kill) Glory, glory, all gory
to you,
O unfathomed Hanuman! For what offence are your devotees
unhappy?
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
PUJAA
JAPA TAPA NEMA ACHAARAA
NAHIN
JAANATA HAUN DAASA TUMHAARAA
VANA
UPAVANA MAGA GIRI GRAHA MAAHIIN
TUMHARE
BALA HAMA DARAPATA NAAHIN
PAANYA
PARAUN KARA JORI MANAAVAUN
YAHA
AVASARA ABA KEHI GOHARAAVAUN
I, your
humble servant, know not how to perform worship and do
penance,
chant your name, observe the rules of purity and conduct.
Strengthened
(and protected) by you, I fear not at home nor while
passing
through forests and parklands and mountains. I prostrate
myself
at your feet and with cupped palms invoke your grace; whom
else
should I call for help in these desperate straits.
जै अंजनी
कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
Jai
Anjani Kumara Balawanta, Shankara Suwana Beera
Hanumanta
Badana Karaala kaala kula ghaalaka, Rama sahay
sadaa
prati Paalak.
Glory
to you, O brave son of Anjani and Shankara! You are the
fearsome
exterminator even of Death and his descendants, a
succourer
of Rama and an ever-ready protector of all.
By J.S.SANDHU
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
BHUUTA
PRETA PISAACHA NISHAACHARA
AGNI
VAITAALA veer MAARII MARA
INHAIN
MAARO TOHE SHAPAtHA RAAMA KII
RAAKHU
NATHA MARYAADAA NAAMA KII
JANAKA
SUTAA HARI DAASA KAHAAVO
TAAKII
SHAPATHA VILAMBA NA LAAVO.
As soon
as one sets one’s mind on you or chants your name ghosts
and
ghouls spirits, fiends, wanderers of the night, fire goblins, fatality
and
epidemics, all disappear in a trice (Being so incomparable in
might)
deliver your devotee at once and with the remembrance of
your
name fill his heart with joy. In the name of Rama do I beseech
you to
kill them, the demons and all their hordes, and, O Lord, let not
Rama’s
dignity be reconciled to anything demeaning (sully not the
reputation
of Rama). You are called a devotee of Janakas
daughter,
Sita and Hari; I entreat you in the names of both Sita and
Hari
not to prevaricate and delay in coming.
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
JAI JAI
JAI DHUNI HOTA AKAASHAA
SUMIRATA
HOTA DUSAHA DUKHA NAASHAA
Uth
uth chal tohe Ram duhai ,Paanv paron kar jor
manai.
The
heavens reverberate with the sound of Glory, glory, all glory (to
Hanuman) The
very remembrance of yours destroys even
unendurable
miseries. With folded palms I supplicate you to provide
me the
protection at your feet, for I cannot but call on you for help at
this
hour. I prostrate myself at your feet and with cupped palms invoke your grace;
whom else should I call for help in these desperate straits. You are under oath
to Rama to hasten and protect all in distress. I prostrate myself again before
you and with folded hands entreat you to arise and rush in (to kill my
enemies).
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
OM Cham
cham cham cham CHAPALA CHALANTAA
OM HANU
HANU HANU HANU HANUMANTAA
OM HAN
HAN HAANKA DETA KAPI CHANCHALA
OM SAN
SAN SAHAMI PARANEY KHALDALA.
Chanting
the sacred Om cham cham cham cham, come and deliver
me, O
entrepid courser! And shouting Om hanu hanu hanu hanu
slaughter
my foes, O Hanuman! When the playful and noble-footed
Monkey-king
shouts aloud Om hum hum the demon host is so
terrified
that it flees crying Om sam sam.
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
Apney
jan ko kas na ubharo. sumrit hoat anand hamaro.
Tate vinti karon pukari. Harhoo
sakal dukh vipiti humari.
Please
remove all difficulties of your worshippers i entreat
you with folded hands.
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
Aiso bal prabhaav prabhu tera. Kas na harhoo
dukh sankat mora
Hey
Bajrang baan sam dhavo. Mate
sakal dukh daras dikhavoo.
Your strength and prowess is endless
,please do not leave me in lurch
take care of all my miseries and troubles and please grace me
with your divine presence.
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
Hey
Kapiraaj Kaaj kabb aeho . Avsar chuk
antt pachhtao
Jan ki laaj jaat aihe bara. Dhavu hey
kapi pavan kumara.
Hey almighty king of monkeys please do the needful please do not loose this opportunity to help
me. I am your devotee servant please do
not disappoint me this time. Almighty son of wind please kill all my woes.
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
Jayati
jayati jai jai Hanumana. Jayati jayati gunn gayan nidhana.
Jayati Jayati
jai jai kapirai jayati
jayati jai jai sukhdai.
Salutations
and victories to you Oh Hanuman
you are the
keeper of values and knowledge. Salutations to you
oh granter of wellbeing
and pleasure.
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
Jayati
jayati jai Ram payare
.Jayati jayati jai siya dularey.
Jayati jayati
Mud mangaldata . Jayti jayti
tribhuvan vikhyata.
Salutations to you one held dear by Shri RAm. Salutations
to you oh hanuman who is very
dear to Sita ji. Salutations to you oh
bestower of pleasure and wellbeing. Salutations to you whose valour and prowess in known in three worlds.
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
Ehi parkaar Gavat
gunn shesha. Pavat paar nahin
lovelesha.
Ram roop sarvatra samaana . Dekhat rehat sada harshana.
Its
like this only that i sing of
your values. You can grant me moksha
in a flash
You have Ram embodied in you
by visualising it you stay pleased and in bliss.
विधि शारदा
सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
Vidhi shardha sahit dinrati. Gavat kapi ke gunn bahu bhanti.
Tum samm nahin jagat balwana . Karr
vichaar dekhon vidhi nana.
With proper procedure and vidhi i keep on harping on your values and
valour whether day or night. There
is no one more powerful than you in this world ,i know and have wondered and
thought about it but you are poweful and
supreme.
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
Yeh
Jiy jaani sharan tabb aai. Tate vinay karr chitt laayi.
Sunn
kapi aarat vachan hamaarey matehoo sakal
dukh bharam bhaarey.
I have
surrendered my soul and seek your protection with fervent
appeals .
Please listen to my entreatises
and olibetrate my sufferings and doubts.
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
Ehi parkaar vinti
kapi keri . Jo jann karey lahey sukhh dheri.
Yaakey parat veer
hanumaana . Dhavat baan tulya
banwana.
I
make appeals like this to you , whosover does it
gets plenty of comforts.
Who
so ever reads this ode to
veer hanuman gets
the strength of an arrow.
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
Metat aaye
dukhh shann mahin. De darshan raghupati
dhigg jahin.
Paath
karein bajrang baan ki. Hanumant raksha
karein praan ki.
You
have been erasing sufferings
in seconds . Please honor me
with your presence.
He, who
chants this hymn,is well protected by Hanumaan.
डीठ, मूठ,
टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
Dheedh
,muthh tona-adik naasey . Par krat yantra,mantra, nahin trasey.
Bhairav adi sur karey mitai . Ayus maane karein sevakai.
All
types of black magic do not
have any effect on those who read this hym.
Bhairav and demons become friends and would
do the bidding.
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
Prann karr
paath karein mann layi . alp mrityu
grah dosh nasai.
Aavrat
gyarah pratidinn jaapey taki
shanh kaal nahin chaapey.
Whoover recites this hym with determination
and resolve has no fear from untimely death ,if one recites it eleven
times daily death does not even cast its shadow on that individual
before time.
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
De
guggal ki dhup hamesha. Karein paath
tann mitey kalesha.
Yeh
bajrang baan jehi marey . tahin kaho phirr kaun ubhaarey.
Burning
incrense
of guggal if one recites this hym
he becomes free of bodily
diseases.
He who
repeats this hymn is feared by spirits and ghouls and all the
who
repeats it regularly with oblations of incense is relieved of all
physical
infirmities. Tell me, who can protect the person who is pierced with
Bajaranga’s arrow?
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
Shatru Samooh
mitey sabb aapey. Dekhat tahin
surasur kaanpey .
Tej partaap budhi
adhikai . Rahe sada kapiraaj
sahai.
All enemies vanish on their own.
And all demons start fearing you.
Your aura,fame ,inteligence and
valour are enhanced and king of monkeys is always
helpful to you.
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
Prem prateet kapi bhaje sadha dharein urr dhayan .
Tehi
ke karaj turrant hi sidhh karein Hanumaan.
By J.S.SANDHU
He who
meditates on the Monkey-King with faith and devotion and
with
his image in his heart, finds all his noble efforts crowned with
success
by the grace of Hanuman